इस बार "सृजन से" के दोनों अंक एक साथ पढने को मिले. इस सुन्दर पत्रिका को इतने जतन से निकालने के लिये पूरी टीम को मेरी हार्दिक बधाई. "सृजन से" में कहानी, कविता, साक्षात्कार, चित्रकला व अन्य पक्षों को जिस सन्तुलन के साथ सहेजा गया है वह काबिले तारीफ है. मुझे आशा है कि "सृजन से" उत्तराखण्ड के नवोदित लेखकों को सही मार्गनिर्देशन के साथ आगे बढाने का प्रयास करेगा और कला के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे नये प्रयोगों को भी सामने रखेगा. अगर सम्भव हो तो क्षेत्रीय बोली-भाषाओं पर भी एक स्तंभ नियमित रूप से देने का कष्ट करें. पुनश्च बधाई एवं शुभकामनायें.
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