''सृजन से '' पत्रिका का अंक ४ वां अंक मुझे प्राप्त हुआ, अगर इसकी अंक संख्या पे गौर नहीं किया जाए तो लगता ही नहीं कि '' सृजन से '' मात्र चौथा अंक नहीं ४०० वाँ अंक है ये , साहित्यिक दृष्टी से भी देखे तो ये अगर निरंतर यू ही अपना सार्थक '' साहित्यक रूप में '' प्रदान करती रही तो ''सृजन से'' सीघ्र ही साहित्यक की श्रेष्ठ पत्रिकाओं में शामिल होगी, ये हमारी कामना है. हां, एक अधूरापन सा लगा कि अगर रचनाकार का साहित्यक परिचय के साथ-साथ पूरा संपर्क सूत्र भी प्रदान करे तो रचना के प्रति अपना साधुवाद भी उनको प्रेषित किया जा सके. अन्यथा भी सुंदर है, पुनः '' सृजन से ' के उज्जवल भविष्य के लिए हार्दिक
शुभकामनाये .
सादर !
सादर !
Sunil Gajjani
President Buniyad Sahitya & Kala Sansthan, Bikaner
Bikaner (Raj.)
President Buniyad Sahitya & Kala Sansthan, Bikaner
Bikaner (Raj.)
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