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Saturday, February 12, 2011

Feedback from Brijendra Agnihotri ji...

’सृजन से’ का अक्टूबर-दिसम्बर 2010 अंक मिला। एक ही बार में पढ़ गया। लाजवाब संपादन, उत्कुष्ट रचना चयन....सच,साहित्य के संगम में डुबकी लगाते हुए कब आलेख, कहानी, ग़ज़ल, कविता, साक्षात्कार व समीक्षा के पड़ाव गुजर गये, पता ही न चला। रचनाकारों को स्मृति में बसाने का नायाब तरीका सीखा मैंने आपसे। दूरभाष पर आपसे वार्ता हुई थी। मधुराक्षर के कुछ पिछले अंक प्रथक डाक से भेज रहा हूँ। मिलने पर प्राप्ति सूचना जरूर दें।

बृजेन्द्र अग्निहोत्री
फतेहपुर(उ0प्र0)

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