’सृजन से’ का जुलाई-सितम्बर 2010 अंक देखा। साहित्यिक पत्रिका निकालने के लिए आपको तथा पूरी टीम को बधाई। कहानियाँ, कविताएँ, लेख, साक्षात्कार सभी स्तरीय हैं। कला-संस्कृति के माध्यम से आपने गढ़वाल के बाल लोक साहित्य से अवगत कराया, धन्यवाद।
महावीर उत्तरांचली
वसुन्धरा इनक्लेव (दिल्ली)
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